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आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से झटका, UP से बाहर केस ट्रांसफर करने की मांग खारिज

उच्चतम न्यायालय ने रामपुर की एक विशेष अदालत में समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता आजम खान के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों को कथित उत्पीड़न के आधार पर उत्तर प्रदेश के बाहर स्थानांतरित करने से बुधवार को इनकार कर दिया. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि खान के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों को स्थानांतरित करने के लिए अधिक ठोस कारणों की जरूरत है.

उच्चतम न्यायालय ने हालांकि, आपराधिक मामलों में मुकदमे को राज्य में रामपुर जिले के बाहर स्थानांतरित करने की याचिका के साथ खान को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख करने की अनुमति दी.पीठ ने कहा, हमें कोई मामला स्थानांतरित करने के लिए और ठोस कारण चाहिए होते हैं. माफ कीजिएगाा. हम आपको इलाहाबाद उच्च न्यायालय जाने की अनुमति देते हैं.

‘राज्य में न्याय नहीं मिलेगा’

खान की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने उनके हवाले से कहा, मुझे राज्य में न्याय नहीं मिलेगा. मुझे प्रताड़ित किया जा रहा है…यह न्यायाधीश के बारे में नहीं… यह राज्य के बारे में है. राज्य में कहीं भी स्थिति ऐसी ही रहेगी.वरिष्ठ अधिवक्ता ने दावा किया कि राज्य में निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकेगी और पक्षपात के अपने आरोप को पुख्ता करने के लिए उन्होंने एक मामले में खान की दोषसिद्धि का हवाला दिया, जब उन्होंने निचली अदालत के एक अंतरिम आदेश को चुनौती दी थी और उनकी अपील उच्च न्यायालय में लंबित थी.

अब्दुल्ला आजम खान को अदालत ने दोषी ठहराया था

खान के बेटे के जन्म प्रमाण पत्र के कथित फर्जीवाड़े से संबंधित मामला और उच्च न्यायालय में याचिका लंबित थी जब उन्हें निचली अदालत ने दोषी ठहराया था.उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को पिछले साल सात नवंबर को खारिज कर दिया था जिसमें सपा नेता आजम खान के बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान का 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुनाव रद्द करने का आदेश दिया गया था.

आपत्तिजनक भाषण के मामले में भी थे दोषी

यह मामला अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाणपत्रों से संबंधित है. खान ने 2017 के विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दायर करते समय कथित तौर पर गलत जन्मतिथि बताई थी.इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में अब्दुल्ला आज़म को चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया था, क्योंकि उनकी उम्र 25 वर्ष से कम थी. उन्होंने 2017 में स्वार निर्वाचन क्षेत्र से सपा उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन पत्र दायर किया था.खान को हाल में आपत्तिजनक भाषण से संबंधित एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया था और राज्य विधानसभा में एक विधायक के रूप में उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

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