आपकी जिंदगी को प्रेरित करते रहेंगे स्वामी विवेकानंद के ये अनमोल विचार
नई दिल्ली: आज स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन है। ऐसे में हम उनके बारे में बहुत सी बातें करते हैं। जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है, वह ज्ञान, जो उन्होंने अपने कर्मों से प्रमाणित करते हुए हमें दिया है। कहते हैं, एक बार स्वामी जी किसी कार्य वश भ्रमण करते हुए एक स्थान से गुजर रहे थे। अचानक उन्होंने देखा, कि एक युवक बंदूक से लक्ष्य साधने का अभ्यास कर रहा था। वह पानी में बहते हुए अंडों के छिलकों पर निशाना लगाने का प्रयास कर रहा था। उसे अपने कार्य में सफलता नहीं मिल रही थी। इस पर स्वामी जी ने उससे कहा, कि क्या वे भी प्रयास कर सकते हैं। युवक ने बंदूक उन्हें थमा दी। स्वामी जी ने एक-एक करके 10 बार लक्ष्य साधा, और हर बार निशाना एकदम सटीक लगा। यह देख कर उस युवक ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा, कि आपने यह कैसे कर दिखाया। इस पर स्वामी जी ने मुस्कुराते हुए कहा इसमें कुछ कठिन नहीं है। असंभव कुछ नहीं होता। बस हमें अपने चित्त और दृष्टि को केंद्रित करना होता है। अगर हम पूरे ध्यान से अपने लक्ष्य पर निशाना लगाएंगे, तो यह संभव ही नहीं है कि निशाना चूक जाए।
स्वस्थ शरीर में ही पलते हैं स्वस्थ विचार
एक और अनूठा प्रश्न प्रसंग स्वामी विवेकानंद के बारे में बताया जाता है। कहते हैं एक बार एक युवक गीता पढ़ने की इच्छा से स्वामी जी के पास आया। वह काफी दुबला पतला और बीमार सा लग रहा था। स्वामी जी ने उससे कहा कि वे उसे गीता अवश्य पढ़ाएंगे, किंतु, जब वह 6 महीने तक रोज फुटबॉल का अभ्यास करके आएगा। हालांकि युवक हैरान तो हुआ, पर उसने उनकी आज्ञा मान ली, और 6 महीने बाद वापस आया। स्वामी जी ने उसे देखा और मुस्कुराए, उसके बाद उसे श्रीमद् भागवत गीता का पाठ ज्ञान पूर्वक समझाया। जब उस व्यक्ति ने अपना अध्ययन पूरा कर लिया, तो अंतिम दिन उसने स्वामी जी से पूछा कि, पहले उन्होंने, उससे फुटबॉल का अभ्यास करने को क्यों कहा। स्वामी जी ने हंसते हुए कहा कि, जब तुम मेरे पास पहली बार आए थे, तो काफी दुबले पतले और अस्वस्थ लग रहे थे। जबकि गीता एक महान पुस्तक है। जिसमें शरीर ही नहीं मानसिक बल के बारे में भी काफी विस्तार से बताया गया है। ऐसे में जब तक तुम शरीर से स्वस्थ और सबल नहीं होते, तब तक पूरी सजगता से गीता के अध्यात्म से भरे ज्ञान को नहीं समझ सकते थे।
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