दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किए गए दो संदिग्धों पर लगाया UAPA, जानिए पूरा मामला
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके से गुरुवार को पकड़े गए दो संदिग्धों जगजीत और नौशाद पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) लगाया गया है. दोनों को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 14 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा है. इनमें से एक नौशाद के संबंध हरकत उल अंसार और जगजीत के संपर्क कनाडा में बैठे अर्शदीप डल्ला से हैं. अर्शदीप डल्ला को हाल ही में गृह मंत्रालय ने आतंकी घोषित किया है.
बता दें कि गुरुवार को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने रेड करते हुए जहांगीरपुरी इलाके से दो संदिग्धों को हिरासत में लिया था. बताया जा रहा है कि ये लोग टारगेट किलिंग का प्लान कर रहे थे, जिसे पुलिस ने नाकाम कर दिया. इसके साथ ही दोनों संदिग्ध पहले भी बड़ी वारदातों में शामिल रह चुके हैं. पुलिस ने दोनों से पुलिस ने पूछताछ की.
पुलिस को संदिग्धों के मोबाइल से आतंकी प्लानिंग का ब्लू प्रिंट भी मिला. इसको लेकर भी दोनों से स्पेशल सेल ने पूछताछ की. पुलिस ने बताया कि अर्शदीप डल्ला KTF यानी खालिस्तान टाइगर फोर्स का खूंखार आतंकी है. ये उसके ही संपर्क में था. दो दिन पहले ही गृह मंत्रालय ने अर्शदीप डल्ला को आतंकी घोषित किया था. साल 2017 में डल्ला कनाडा फरार हो गया था.
इन मामलों में सजा भी काट चुका है नौशाद
पुलिस के मुताबिक, आरोपी नौशाद आतंकवादी संगठन ‘हरकत-उल-अंसार’ से जुड़ा था. वह हत्या के दो मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट चुका है और विस्फोटक अधिनियम के एक मामले में 10 साल की सजा भी काट चुका है. वहीं आरोपी जगजीत कुख्यात बंबिहा गिरोह का सदस्य है. उसे विदेशों में स्थित राष्ट्र विरोधी तत्वों से निर्देश मिलते रहे हैं. वह उत्तराखंड में हत्या के एक मामले में पैरोल तोड़ चुका है.
बता दें कि 29 वर्षीय जगजीत सिंह उर्फ जग्गा उर्फ जस्सा उर्फ याकूब उर्फ कप्तान पुत्र गुरमेल सिंह कोपा किरपाली, गुलत भोज उधम सिंह नगर उत्तराखंड का रहने वाला है. वहीं 56 वर्षीय नौशाद पुत्र मोहम्मद यूनुस जहांगीरपुरी दिल्ली का रहने वाला है. पुलिस ने इनके पास से तीन पिस्टल के साथ 22 जिंदा कारतूस बरामद किए.
क्या है UAPA एक्ट?
UAPA का फुल फॉर्म Unlawful Activities Prevention Act यानी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम है. इस कानून का मुख्य उद्देश्य आतंकी गतिविधियों पर रोकथाम लगाना है. पुलिस और जांच एजेंसियां इस कानून के तहत ऐसे आतंकियों, अपराधियों और संदिग्धों को चिह्नित करती हैं, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं. इस कानून को साल 1967 में लाया गया था.