आपके हाथ की यह रेखा बताएगी जीवन में सुख मिलेगा या दुख
नई दिल्ली: वास्तव में अनेक प्रकार के शरीर विज्ञान की तरह ही, हस्तरेखा भी विज्ञान का ही विशिष्ट विषय माना जा सकता है। जिसका निरंतर अध्ययन करना पड़ता है, तभी पता चलता है कि विभिन्न रेखाएं किन गुणों या किस प्रकार के विचारों से संबंध रखती हैं।हस्तरेखा विज्ञान से जुड़े लोगों का कहना है की, हथेली पर बनी रेखाएं ईश्वर का हस्ताक्षर है। पंडित अभिषेक का कहना है, की हथेली पर बनी रेखाओं के संबंध में प्रमुख रूप से दो बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
पहली बात यह है की रेखाएं आपकी सोच के साथ परिवर्तित होती रहती हैं। दूसरी बात यह है, की एक हाथ में जो विशिष्ट रेखाएं दिखाई देती हैं, जरूरी नहीं है कि दूसरे हाथ में भी वैसी ही दिखाई दे। दोनों हाथों में सिर्फ वही रेखाएं समान होती हैं, जिनका वंश परंपरा से संबंध होता है। हालांकि हस्त रेखाओं को देखकर निश्चित रूप से अनेक बातों का पता लगाया जा सकता है, परंतु यदि कोई यह कहे कि वह हाथ की रेखाएं देखकर व्यक्ति के विवाह, धन, प्रेम और जीवन से संबंधित सारी घटनाओं के बारे में सब कुछ बता सकता है, तो यह गलत होगा। केवल रेखाएं देखकर सारी बातें बता देना लगभग असंभव है।
7 प्रमुख रेखाएं होती हैं
वैसे तो हाथ में अनेक प्रकार की रेखाएं होती हैं, लेकिन मुख्य रूप से रेखाओं की संख्या सात है। हृदय रेखा, मस्तिष्क रेखा, जीवन रेखा, शनि रेखा, सूर्य रेखा, बुध रेखा, और शुक्र रेखा। इन रेखाओं से व्यक्ति के जीवन के बारे में और उसकी आदतों और गुणों के विषय में अधिकतम जानकारी मिलती है। आठ छोटी रेखाएं भी होती हैं, प्रभाव रेखाएं, स्नेह रेखाएं, मंगल रेखा, सोलोमन रेखा, शनि का घेरा, कलाई और यात्रा संबंधी रेखाएं और सहज ज्ञान रेखा।
हर हाथ में नहीं होती प्रत्येक रेखा
यह सच है की सभी रेखाएं हाथों में ही होती हैं, और जरा से प्रयत्न से इन्हें खोजा जा सकता है। इसके बावजूद यह जरूरी नहीं है, कि सभी प्रमुख रेखाएं प्रत्येक हाथ में दिखाई दें। कुछ हाथों में कोई रेखा होती है, और दूसरे हाथों में अन्य रेखाएं होती हैं। उदाहरण के लिए हृदय रेखा या मस्तिष्क रेखा लगभग सभी के हाथों में होती है, लेकिन उनकी लंबाई और आकार में फर्क होता है। यूं तो जीवन रेखा भी कभी पूरी तरह लुप्त नहीं होती, फिर भी कुछ हाथ हैं जिन पर यह दिखाई नहीं देती सभी रेखाओं अथवा ज्यादातर रेखाओं के दिखाई ना देने पर किसी भी व्यक्ति को चिंतित नहीं होना चाहिए। आपके जीवन और मस्तिष्क में चल रही विचारधाराओं के हिसाब से रेखाएं बनती बिगड़ती रहती हैं।
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