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14 एकड़ में आश्रम, तीन साल में करोड़ों का साम्राज्य… जानिए कैसे एक किसान नेता बना करौली बाबा

करौली सरकार बाबा उर्फ डॉक्टर संतोष सिंह भदौरिया कानपुर के अपने आश्रम में नोएडा के एक युवक के साथ हुई बर्बर मारपीट को लेकर चर्चाओं में हैं। नोएडा से आए डॉक्टर सिद्धार्थ, बाबा के आश्रम में शांति की तलाश में गए थे। बाबा ने उनके कान में कोई मंत्र फूंका और पूछा क्या असर हुआ ? डॉक्टर सिद्धार्थ का कसूर बस इतना था उन्होंने सच्चाई बयान कर दी कि मंत्र का कोई असर नहीं हुआ और यह सुनकर बाबा आग बबूला हो गए और अपने बाउंसर से डॉक्टर सिद्धार्थ को बुरी तरह पिटवा डाला। डॉक्टर सिद्धार्थ ने आरोपी बाबा डॉक्टर संतोष सिंह भदौरिया के खिलाफ एफआईआरदर्ज कराई है। बाबा करौली का पुराना आपराधिक इतिहास है। कौन है यह बाबा, जो कुछ ही सालों में करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन गया, जिसके आश्रम में झाड़-फूंक कराने लोगों का तांता लगा रहता है, कौन है यह बाबा आइए जानते हैं विस्तार से …

कैसे चलता है आश्रम

डॉ. संतोष सिंह भदौरिया उर्फ करौली सरकार तीन साल से आश्रम चला रहे हैं। करीब 14 एकड़ में फैले इस आश्रम हर दिन 3500 से 5000 तक लोग आते हैं। अमावस्या वाले दिन यह तादाद 20 हजार तक पहुंच जाती है। यहां रात-दिन का पता नहीं चलता। लोग 24 घंटे हवन करते रहते हैं। बाबा से बात करने के लिए 5100 रुपये का टोकन लगता है। इसके लिए बाकायदा उन्हें आश्रम से हवन किट मिलती है। आश्रम में आने के बाद सबसे पहले 100 रुपए में रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इसके बाद 100 रुपए बंधन का चार्ज लगता है। बंधन यानी कमर पर सफेद धागा बांध दिया जाता है। इसके बाद 100-100 रुपए की दो अर्जियां दोनों दरबार के लिए लगती हैं। साथ ही उन्हें 8वें और 9वें दिन के हवन में शामिल होना होता है। इसके लिए करीब 6200 रुपए लगते हैं। यानी यहां आने वाले हर शख्स को कम से कम 6600 रुपए तो खर्च करने ही होंगे। आश्रम की तरफ से 3500 रुपए का एक हवन किट मिलती है। आपको कम से कम 9 हवन करने ही होंगे यानी हर दिन के लिए एक किट खरीदनी होगी, जिसका खर्च 31,500 रुपए आएगा। अगर आप 9 दिनों तक आश्रम में रुकते हैं और खाना-पीना करते हैं तो उसका खर्च अलग से। जो लोग 9 दिन हवन नहीं कर सकते या जिन्हें जल्दी इलाज चाहिए। उनके लिए एक दिन का भी विकल्प है। इसका खर्च 1.51 लाख रुपए तक आता है। इसमें हवन के साथ कई पंडित मिलकर रुद्राभिषेक और पूजा-पाठ कराते हैं।

17 देशों में भक्त, करोड़ों का साम्राज्य

यहां आने वाला कमोबेश हर परिवार एक से डेढ़ लाख रुपए खर्च कर ही देता है। इस तरह अगर बाबा के दरबार के एक दिन का हिसाब-किताब करें तो करोड़ रुपए का आंकड़ा आसानी से पार हो जाएगा। बाबा ने तीन साल में करोड़ों का साम्राज्य खड़ा किया है। आश्रम के लोग बताते हैं कि 17 देशों में बाबा के भक्त हैं। कई भक्त उन्हें लाखों रुपए का सामान भी भेंट करते हैं। पैसे-रुपए लेन-देन सब कुछ मैनेज बाबा के बेटे लव और कुश करते हैं। आश्रम में चारों तरफ गनर खड़े रहते हैं। आश्रम के आस-पास भी बाबा का रसूख दिखता है। जिन लोगों से भी बाबा के बारे में बात करो, सब या तो बाबा के फेवर में बोलंगेे या सवालों के जवाब दिए बिना चले जाएंगे, नहीं तो आपके साथ मारपीट भी हो सकती है।

हत्या, सेवन सीएलए समेत दर्ज कई मामले

करौली सरकार बाबा डॉ. संतोष सिंह भदौरिया अपराधी से बाबा बनने का सफर भी बड़ा दिलचस्प है। संतोष सिंह पर 1992 से 1995 के बीच हत्या और सेवन सीएलए समेत कई धाराओं में मुकदमे दर्ज हुए थे। पुलिस से बचने के लिए वह किसानों का नेता बन गए। इसके बाद पुलिस से बचने के लिए वह किसानों का नेता बनकर जमीनों पर अवैध कब्जे करने लगे। यहां तक की कोतवाली थाना क्षेत्र में एक चर्च की जमीन का एग्रिमेंट कराकर रुपये तक हड़पने का आरोप भी है। फिर बिधनू में भूदान पट्टा पर सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर कर कब्जा कर आश्रम खोल लिया। इसके बाद यूट्यूब पर तंत्रमंत्र के जरिए समस्याओं को हल करने के वीडियो यू-ट्यूब चैनल पर डालने लगे। उसके करौली बाबा नाम से बने यू-ट्यूटब चौनल में 93 हजार सब्सक्राइबर हैं। कानपुर में उन्हें यूट्यूबर बाबा भी कहा जाता है।

1992 में हत्या में आया था नाम

चार अगस्त 1992 में फजलगंज थाना क्षेत्र में शास्त्रीनगर निवासी अयोध्या प्रसाद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मामले में राज कुमार ने संतोष भदौरिया व अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। उस दौरान उसका नाम प्रकाश में आया था। जिसका अपराध संख्या 218 है। मामले में पुलिस ने उसे जेल भेज दिया था। 27 मार्च 1993 को संतोष भदौरिया को जमानत पर रिहा कर दिया गया था। वहीं वर्ष 7 अगस्त 1994 को तत्कालीन कोतवाली प्रभारी वेद पाल सिंह ने संतोष भदौरिया व उनके साथियों के खिलाफ गाली गलौज, मारपीट, क्रिमिनल एक्ट की धारा में एफआईआर दर्ज की थी।

1994 में हुई थी एनएसए की कार्रवाई

इसके बाद 12 अगस्त 1994 को महाराजपुर थाने में तैनात तत्कालीन कांस्टेबल सत्य नारायण व संतोष कुमार सिंह ने चकेरी थाने में सरकारी कार्य में बाधा डालना, मारपीट करने समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई थी। संतोष भदौरिया के खिलाफ तत्कालीन जिलाधिकारी दिनेश सिंह के आदेश पर 14 अगस्त 1994 को एनएसए की कार्रवाई हुई थी। जिसकी संख्या 14/जे/ए एनएसए 1994 है। संतोष एनएसए हटाने के लिए गृह सचिव को पत्र भेजा था। पत्र में संतोष भदौरिया ने बताया था कि वह वर्ष 1989 से किसान यूनियन में कार्यकर्ता था। वह भरतीय किसान यूनियन में जिलाध्यक्ष भी था। इसके अलावा बर्रा में भी उसके खिलाफ वर्ष 1995 में एफआईआर दर्ज हुई थी, जिसका अपराध संख्या 443 है।

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