Greater Noida प्राधिकरण के CEO को होगी एक महीने की जेल! 18 साल पुराने मामले में आया फैसला
ग्रेटर नोएडा। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग की ओर से 2014 में दिए आदेश का पालन न करने पर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के सीईओ को एक महीने कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही दो हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।
आयोग ने कहा है कि आदेश का पालन कराए जाने के लिए आदेश की प्रति के साथ गिरफ्तारी वारंट पुलिस आयुक्त गौतमबुद्ध नगर को प्रेषित किया जाए। आयोग ने आदेश दिया है कि 2014 में दिए गए आदेश का पालन 15 दिनों के अंदर कराया जाए।
नहीं किया गया भूखंड का आवंटन
महेश मित्रा ने 2001 में ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण में भूखंड आवंटन के लिए आवेदन किया था। उन्होंने प्राधिकरण में बीस हजार रुपये भी जमा किए थे, लेकिन उन्हें भूखंड का आवंटन नहीं किया गया। महेश ने 2005 में जिला उपभोक्ता फोरम में मुकदमा दायर किया था। फोरम ने 18 दिसंबर 2006 को आदेश दिया कि प्राधिकरण के नियम व शर्तों को ध्यान में रखते हुए महेश मित्रा को उनकी आवश्यकता के अनुरूप 1000 से लेकर 2500 वर्गमीटर तक का भूखंड आवंटित किया जाए।
आदेश के विरुद्ध प्राधिकरण ने 2010 में राज्य आयोग में याचिका दायर की। आयोग ने आदेश दिया कि महेश मित्रा की ओर से प्राधिकरण में जमा कराए गए बीस हजार रुपये छह प्रतिशत ब्याज के साथ वापस किए जाएं। आदेश के खिलाफ महेश ने राष्ट्रीय आयोग में अपील की। राष्ट्रीय आयोग ने 30 मई 2014 को दिए अपने आदेश में राज्य आयोग के फैसले को गलत ठहरा दिया।
राष्ट्रीय आयोग ने जिला आयोग के फैसले को कुछ बदलाव के साथ सही बताया था। राष्ट्रीय आयोग ने अपने फैसले में कहा कि प्राधिकरण की ओर से महेश को 500 से लेकर 2500 वर्ग मीटर तक का प्लाट आवंटित किया जाए। प्लाट का आकार प्रोजेक्ट रिपोर्ट व आवश्यकता के आधार पर निर्धारित किया जाए।
प्राधिकरण ने राष्ट्रीय आयोग के फैसले पर अमल नहीं किया। महेश ने 2015 में दोबारा जिला उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया था। 2017 में कार्रवाई करते हुए जिला उपभोक्ता फोरम ने प्राधिकरण का बैंक खाता कुर्क कर लिया था। इसके विरोध में प्राधिकरण ने राज्य आयोग में याचिका दायर की थी।
राज्य आयोग ने जिला फोरम के आदेश को रद कर दिया। शनिवार को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष अनिल कुमार पुंडीर ने आदेश में कहा कि पूर्व में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग की ओर से दिए गए आदेश का पालन न करते हुए सीईओ ने उसे लटकाए रखा, जिसके लिए वह स्वयं दोषी हैं। आदेश में ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के सीईओ को एक माह की सजा सुनाई है।