रक्षा मंत्रालय ने 4,276 करोड़ रुपए के खरीद प्रस्तावों को दी मंजूरी, एलएसी पर सैन्य बलों की लड़ाकू क्षमताओं को मिलेंगी मजबूती
नई दिल्ली। चीन की चुनौती का मजबूती से सामना करने और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के और करीब पहुंचने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ते हुए रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने मंगलवार को 4276 करोड़ रुपये के तीन अहम खरीद सौदों को मंजूरी प्रदान कर दी। इन सौदों में एंटी टैंक मिसाइल और दुश्मन देश के लड़ाकू विमान को धराशायी कर देने वाले एयर डिफेंस सिस्टम के साथ ही युद्धपोतों के लिए ब्रह्मोस लांचर की खरीद शामिल है। इन मिसाइल और एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद से देश के सशस्त्र बलों की चीन से लगती सीमा पर युद्धक क्षमता और अधिक बढ़ जाएगी।
इन खरीद प्रस्तावों को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली परिषद ने मंगलवार को मंजूरी प्रदान की। इनमें से दो प्रस्ताव सेना के लिए हैं और तीसरा प्रस्ताव नौ सेना की क्षमता बढ़ाने वाला है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार डीएसी ने हेलिना एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों, लांचर और इससे संबंधित सहयोगी उपकरणों की खरीद के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी प्रदान की है। इन्हें एडवांस्ड लाइट हेलीकाप्टर (एएलएच) से जोड़ा जाएगा।
नौसेना को मिलेगी ब्रह्मोस लांचर की शक्ति
देश के लिए रक्षा चुनौती उत्पन्न करने वालों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए एएलएच को हथियारबंद बनाने की प्रक्रिया चल रही है और इसी के तहत उन्हें इन मिसाइलों से लैस किया जा रहा है। ये मिसाइल अब एएलएच का अनिवार्य अंग होगी। मंत्रालय ने कहा है कि एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों से लैस एएलएच के जुड़ने से सेना की क्षमता को और अधिक मजबूती मिलेगी। जिस अन्य खरीद प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई है उसमें अत्यंत छोटी दूरी के एयर डिफेंस (वीएसएचओआरएडी) के लिए मिसाइल सिस्टम भी शामिल है।
इसे डीआरडीओ ने डिजाइन और विकसित किया है। रक्षा मंत्रालय उत्तरी सीमा पर हाल के घटनाक्रमों को लेकर पूरी तरह सजग और सक्रिय है। इसी क्रम में उसने इस मिसाइल सिस्टम की खरीद का निर्णय लिया है। मंत्रालय ने बयान में कहा कि उत्तरी सीमा के हालात को देखते हुए प्रभावशाली एयर डिफेंस सिस्टम पर फोकस करने की जरूरत है। यह मिसाइल सिस्टम कोई भी आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सकता है और इसे ऊंचे-नीचे इलाकों के साथ ही समुद्री क्षेत्रों में शीघ्रता से तैनात किया जा सकता है।
फायर कंट्रोल सिस्टम से लैस किए जाएंगे शिवालिक श्रेणी के पोत
एक मजबूत और शीघ्र तैनाती में सक्षम इस मिसाइल सिस्टम से सेना की एयर डिफेंस क्षमता में और अधिक वृद्धि होगी। तीसरी अहम खरीद नौसेना के लिए शिवालिक श्रेणी के पोत तथा अगली पीढ़ी की मिसाइल पनडुब्बी में ब्रह्मोस मिसाइल लांचर और फायर कंट्रोल सिस्टम (एफसीएस) की तैनाती के लिए की जाएगी। रक्षा मंत्रालय ने इसकी आवश्यकता और महत्व को रेखांकित करते हुए कहा है कि इसके जुड़ जाने के बाद इन पोत और पनडुब्बी के पास समुद्र में सैन्य अभियान चलाने की क्षमता अत्यंत कारगर तरीके से बढ़ जाएगी और वे किसी भी चुनौती को ध्वस्त करने में सक्षम होंगी। वे बिना किसी देरी के दुश्मन देश के युद्धपोतों और समुद्री जहाजों को तबाह कर देंगे।