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जानिए क्यों मनाया जाता है विश्व ब्रेल दिवस, क्या है इसका इतिहास

नई दिल्ली। हर साल 4 जनवरी का दिन दुनियाभर में ब्रेल दिवस (World Braille Day) के रूप में मनाया जाता है। नेत्रहीन लोगों के लिए यह दिन बेहद खास होता है क्योंकि आज ही के दिन नेत्रहीनों के जिंदगी में रोशनी भरने वाले लुइस ब्रेल का जन्म हुआ था। लुइस ब्रेल ने ही ब्रेल लिपि को जन्म दिया था जिसके चलते आज दृष्टिहीन लोग भी पढ़-लिख रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं।

विश्व ब्रेल दिवस (World Braille Day) का इतिहास

संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 6 नवंबर 2018 को एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें हर साल 4 जनवरी को ब्रेल लिपि के जनक लुई ब्रेल के जन्मदिन को ‘विश्व ब्रेल दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था। जिसके बाद 4 जनवरी 2019 को पहली बार विश्व ब्रेल दिवस मनाया गया। संयुक्त राष्ट्र के विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में तकरीबन 39 मिलियन लोग नेत्रहीन हैं, तो वहीं करीब 253 मिलियन लोगों किसी न किसी तरह की आंखों से जुड़ी समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे लोगों के लिए ब्रेल लिपि बहुत ही मददगार है।

जानें कौन थे लुईस ब्रेल?

ब्रेल लिपि के जनक लुइस ब्रेल 4 जनवरी 1809 को फ्रांस के कुप्रे में पैदा हुए थे। बचपन में हुए एक हादसे के चलते लुइस ब्रेल के आंखों की रोशनी चली गई थी। दरअसल उनकी एक आंख में चाकू लग गया था। सही समय पर इलाज न मिल पाने के कारण धीरे-धीरे उनकी दूसरे आंख भी पूरी तरह से खराब हो गई। जिसके बाद लुइस ब्रेल ने बहुत सारी परेशानियों का सामना किया। लेकिन कभी इनसे हार नहीं मानी और अपने जैसे लोगों की परेशानी को समझते हुए महज 15 साल की उम्र में ब्रेल लिपि का आविष्कार किया, जो आज दृष्टिहीन लोगों के लिए बहुत बड़ा वरदान है।

क्या है ब्रेल लिपि?

ब्रेल लिपि एक ऐसी लिपि है जिसका इस्तेमाल दृष्टिबाधित लोगों को पढ़ाने के लिए किया जाता है। इस लिपि में नेत्रहीन लोग स्पर्श के जरिए पढ़ते-लिखते हैं। इस लिपि में कागज पर उभरे हुए बिंदुओं के स्पर्श से दृष्टिबाधित लोगों को शिक्षा दी जाती है। पढ़ने के अलावा इस लिपि के जरिए बुक भी लिख सकते हैं। जिस तरह टाइपराइटर के माध्यम से पुस्तकें लिखी जाती हैं ठीक उसी प्रकार ब्रेल लिपि में रचना के लिए ब्रेलराइटर का इस्तेमाल किया जाता है।

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