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ऑनलाइन गेमिंग को लेकर जारी हो सकते हैं नए नियम, फर्मों और विजेताओं को देना होगा ज्यादा टीडीएस!

नई दिल्ली। आगामी एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में ऑनलाइन गेमिंग को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किया जा सकता है। ताकि ऑनलाइन गेम से जुड़े टैक्स संबंधी नियम स्पष्ट हो सके और अनियमितताओं को दूर कर घरेलू ऑनलाइन गेमिंग कारोबारियों को आगे बढ़ने का मौका दिया जा सके। अभी ऑनलाइन गेमिंग के नियमों को लेकर कई असमंजस है और कंपनियां एक स्पष्ट दिशा निर्देश चाहती है। औद्योगिक संगठनों के मुताबिक भारत में ऑनलाइन स्किल-बेस्ड गेमिंग (ओएसजी) का कारोबार 2.5 अरब डॉलर का है और हर साल यह 38 फीसद की दर से बढ़ रहा है।

2030 तक यह कारोबार 20 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। भारत में 30 करोड़ से अधिक लोग ऑनलाइन गेम खेलते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक सरकार द्वारा गठित एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग एंड कॉमिक्स (एवीजीसी) प्रमोशन टास्क फोर्स की रिपोर्ट में एक राष्ट्रीय एवीजीसी-एक्सटेंडेड रियलिटी मिशन का प्रस्ताव दिया गया है, जिसमें इस क्षेत्र के विस्तार एवं विकास के लिए बजट में प्रविधान करने की सिफारिश है।

थिक चेंज फोरम के अनुसार

साथ ही पर्सनल टैक्सेशन के लिए एक स्पष्ट और सुसंगत दृष्टिकोण की आवश्यकता महसूस की गई। थिक चेंज फोरम के मुताबिक स्पष्ट और सुसंगत कर प्रणाली नहीं होने पर सरकार को टैक्स में हजारों करोड़ रुपये का नुकसान होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत को ग्लोबल गेमिंग का हब बनाने के लिए आसानी से आकलन होने वाली टैक्स व्यवस्था की जरूरत है। यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि कंपनियों द्वारा भुगतान किए गए कर उनकी शुद्ध आय से अधिक न हों।

थिक चेंज फोरम से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रोहन शाह के मुताबिक ऑनलाइन गेमिंग नए युग का अवसर है जबकि टैक्स संबंधी प्रविधान वर्ष 1961, 1972 और 1986 के हैं। वर्ष 2022 के उद्योग का 1970 के टैक्स प्रविधान से मेल नहीं खा रहा है। ऑनलाइन गेम्स उद्यमी त्रिविक्रम थंपी ने बताया कि लॉटरी जैसी प्रतियोगिताओं में हजारों लोगों से प्रतिस्पर्धा होती है और कोई एक विजयी घोषित होता है। इसके विपरीत ऑनलाइन स्किल गेम में लाभ बड़े पैमाने पर नहीं होता है। टैक्स प्रणाली को लॉटरी की तरह रखने पर खिलाड़ी को अपनी जेब से पैसा देना होगा।

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