मनी लांड्रिंग केस में फंसाने का दिखाया डर, फर्जी इंस्पेक्टर बन बुजुर्ग से पांच लाख रुपये ठगे
नोएडा। 450 करोड़ रुपये की मनी लॉंड्रिंग केस में फंसाने के नाम पर साइबर जालसाजों ने बुजुर्ग को फर्जी गिरफ्तारी वारंट भेज दिया। जालसाज ने खुद को मुंबई पुलिस का थानेदार बता मनी लॉंड्रिंग केस से नाम हटाने के नाम पर 4.94 लाख रुपये की ठगी कर ली। ठगी का पता चला चलने पर पीड़ित सेक्टर-34 स्थित हिमगिरी सोसाइटी निवासी रामचंद्र श्रीवास्तव (80) ने पुलिस से शिकायत की। कोतवाली सेक्टर-24 पुलिस ने मामले में रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पुलिस को दी शिकायत में सेवानिवृत अधिकारी हैं रामचंद्र श्रीवास्तव ने कहा है कि वह पत्नी के साथ वह सोसाइटी में रहते हैं। इसी 25 फरवरी को मुंबई के लैंडलाइन नंबर से उनके पास फोन आया था। फोन करने वाले ने खुद का नाम भूपेंद्र नागर बताते हुए मुंबई के दादर थाने का इंस्पेक्टर बताया। उसने फोन पर बताया कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का 450 करोड़ रुपये की मनी लॉंड्रिंग केस सामने आया है। इसमें एसबीआई के रिटायर्ड जीएम जय कुमार और इसमें रामचंद्र का भी नाम आया है। इसके बाद साइबर जालसाज ने उन्हें तरह-तरह से धमकी दी और बाद में बोला कि वह अंतरिम बेल दिलवा सकता है।
जालसाज ने एक और शख्स से रामचंद्र श्रीवास्तव से बात कराई और अंतरिम बेल को लेकर बातचीत की। इसके बाद मुंबई और दिल्ली में कई विभागों से क्लियरेंस के नाम पर दो बार में 4.94 लाख रुपये ले लिए। पैसे लेने के बाद आरोपियों से संपर्क नहीं होने पर पीड़ित बुजुर्ग को ठगी का पता चला। डीसीपी हरीश चंदर का कहना है कि इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। जिस नंबर से फोन आया था उसकी जांच की जा रही है।
दिल्ली बार काउंसिल का सदस्य बताया
साइबर जालसाजों ने बुजुर्ग को कोर्ट से अंतरिम बेल दिलाने का जब झांसा दिया तो उसने अपना विश्वास जताने के लिए एक कागजात भेजा। यह कागजात दिल्ली बार काउंसिल का था। इसमें खुद को आरोपी ने वकील बताया था। हालांकि पुलिस ने जब इस कागजात की जांच की गई तो यह फर्जी निकला। वहीं पीड़ित का कहना है कि उन्हें पेंशन भी नहींं मिलता है और उनकी जमा पूंजी साइबर जालसाजों ने ठग लिया।