उत्तराखंडराज्य

कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने लिया जोशीमठ घटना का संज्ञान, राहुल-प्रियंका ने जताई चिंता

देहरादून: प्रदेश कांग्रेस ने जोशीमठ प्रकरण पर प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के नेतृत्व में 11 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। समिति जोशीमठ में प्रभावित क्षेत्रों में सरकार के कार्यों पर नजर रखेगी, साथ ही नुकसान का जायजा भी लेगी। कमेटी के सदस्य जोशीमठ पहुंचकर प्रभावित क्षेत्र का मुआयना भी करेंगे।

कमेटी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के अलावा ये नेता शामिल

पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा माहरा दसोनी ने बताया कि इस कमेटी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के अलावा नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल, उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी, स्थानीय विधायक राजेंद्र भंडारी, द्वारहाट विधायक मदन बिष्ट, हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश, पूर्व राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी और अनुकृति गुसाईं को शामिल किया गया है।

उन्होंने कहा कि यह कमेटी जोशीमठ में स्थानीय व्यक्तियों के जान माल की रक्षा के लिए उठाए जा रहे कदमों पर नजर रखेगी। साथ ही यह भी देखेगी कि पहले आई आपदा में सरकार ने कितने व्यक्तियों का पुनर्वास किया है। कमेटी भू-वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों के सर्वे तथा संस्तुतियों की जानकारी लेगी।

कमेटी सरकार पर हेलंग बाइपास पर हो रहे निर्माण कार्य और एनटीपीसी समेत अन्य निर्माण कार्यों पर रोक लगाने के लिए दबाव बनाएगी। एनटीपीसी ने जोशीमठ के सभी घरों का बीमा करवाने के संबंध में जो समझौता किया था, उसके अनुपालन की स्थिति भी कमेटी जानेगी।

कितने विधायकों व सांसदों ने उठाई जोशीमठ का आवाज: आर्य

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने जोशीमठ प्रकरण को लेकर भाजपा को निशाने पर लिया है। नेता प्रतिपक्ष ने पूछा कि अभी तक सत्ताधारी दल के कितने सांसदों व विधायकों ने जोशीमठ को बचाने की आवाज उठाई है।

शनिवार को नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने ट्वीट कर कहा कि जनता ने भाजपा के पांच सांसद और 47 विधायक जिताए हैं। केंद्र व राज्य में भाजपा की सरकारें हैं। इनमें से कितनों ने जोशीमठ को बचाने के लिए आवाज उठाई।

स्थानीय लोग बीते 14 माह से अधिकारियों का ध्यान क्षेत्र की इस समस्या की ओर खींचने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। अब चीजें हाथ से निकल कर रही हैं, इसलिए विशेषज्ञों की टीम भेजी जा रही है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ के अस्तित्व पर खतरा तब तक बरकरार रहेगा, जब तक परियोजनाओं को स्थायी रूप से बंद नहीं किया जाता।

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