जेल से भगाने की थी प्लानिंग, इसलिए अब्बास से मिलने आती थी पत्नी निकहत
चित्रकूट। जिला जेल के सुरक्षा तंत्र में पहली सेंध नहीं है, इसके पहले भी जेल अधिकारियों की मिलीभगत से मुख्तार अंसारी के ही शूटर ने बड़ी वारदात को अंजाम दिया था। हालांकि गैंगवार में वह भी मारा गया था लेकिन यह सवाल अभी तक अनुत्तरित है कि हथियार जिला जेल में कैसे पहुंचे। चित्रकूट जिला जेल में माफिया मुख्तार की कितनी पैठ है बताने के लिए यह काफी है।
जेल से अब्बास को भगाने की थी योजना, 20 बार मिल चुकी थी पत्नी
- जिला जेल में अब्बास अंसारी ने अच्छा नेटवर्क खड़ा कर लिया था। जिला प्रशासन की थोड़ा चूकता तो अब्बास जेल से फरार हो गया होता।
- उसकी पत्नी करीब एक माह से जिला जेल में ही बैठकर इसका ताना-बाना बुन रही थी, लेकिन वह अपने मंसूबे में कामयाब होती उसके गिरफ्तार कर ली गई।
- विधायक अब्बास अंसारी और उसकी पत्नी निखत बानो की मुलाकात जेल अधीक्षक कार्यालय में ही बने एक कमरे में होती थी।
- पति पत्नी एकांत में तीन से चार घंटे बिताते थे। जिला जेल में अब्बास को नवंबर 2022 में भेजा गया था।
- तब से करीब 20 बार उसकी पत्नी निखत जिला जेल में एकांत में अब्बास से मिल चुकी है। प्रतिदिन रात में करीब 11 बजे आती थी।
मुख्तार की दबंग बहू ने अफसरों को भी दे डाली धमकी
मुख्तार अंसारी की बहू और अब्बास अंसारी की पत्नी निखत बानो भी अपने ससुर और पति की तरह दबंग है। देर रात नियम विरुद्ध जेल में मौजूदगी, मोबाइल फोन और नकदी की बरामदगी के बावजूद निखत बानो के तेवर अफसरों के सामने तीखे ही दिखे। जब अधिकारियों ने उस से बरामद मोबाइल फोन को खोलने के लिए कहा तो उसने मोबाइल खोला और कुछ डाटा डिलीट कर दिया। आरोप है कि जब उसे ऐसा करने के लिए रोका गया तो उसने अधिकारियों को ही गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे डाली। अधिकारियों ने कड़ाई से उसके मोबाइल का पासवर्ड मांगा तो उसने गलत पासवर्ड बताकर मोबाइल लाक कर दिया।
हाई सिक्योरिटी बैरक में बंद मुकीम काला और मुख्तार गुर्गे मेराज की हुई थी हत्या
जिला कारागार में विचाराधीन बंदी सीतापुर निवासी मुख्तार गैंग का शार्प शूटर कुख्यात अपराधी अंशु दीक्षित ने 14 मई 2021 को जेल की अस्थायी बैरक में निरुद्ध शामली जिले के कैराना निवासी कुख्यात अपराधी मुकीम काला और हाई सिक्योरिटी बैरक में बंद मुख्तार के रिश्ते में भांजे गाजीपुर निवासी विचाराधीन बंदी मेराज अहमद खान उर्फ मेराजुद्दीन की गोली मारकर हत्या कर दी थी। बाद में जेल के भीतर ही हुई मुठभेड़ में पुलिस ने अंशु दीक्षित को मार गिराया था। मामले में तत्कालीन जेल अधीक्षक समेत अन्य कर्मी निलंबित कर दिए गए थे, लेकिन अंशू के पास पिस्टल कैसे पहुंची थी। उसका खुलासा नहीं हो सका था लेकिन इतना तो तय था कि जेल में मुख्तार के अच्छी पैठ है।