1800 बुजुर्गों से ठगी करने वाले 4 हाईप्रोफाइल आरोपी गिरफ्तार
नई दिल्ली। जीवन प्रमाण 10 नवंबर, 2014 को शुरू की गई भारत सरकार की एक पहल है। जीवन प्रमाण केंद्र सरकार, राज्य सरकार और अन्य सरकारी संगठनों के एक करोड़ पेंशनभोगियों के लिए एक बायोमेट्रिक सक्षम डिजिटल सेवा है।
इस पहल के जरिए नौकरी से सेवानिवृत्ति के बाद पेंशनरों की समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने ऑनलाइन जीवन प्रमाण पत्र बनाने के लिए एक यह पहल शुरू की। हाल ही में स्पेशल सेल की आईएफएसओ यूनिट को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र से शिकायत मिली है कि कुछ जालसाजों ने इसी तरह की एक वेबसाइट जीवन प्रमाण से जुड़ी एक फेक वेबसाइट बना ली है।
आधिकारिक वेबसाइट से कॉपी कर लिए डेटा
जालसाजों ने आधिकारिक पोर्टल से ज्यादातर डेटा कॉपी और ग्राहकों से इस फेक वेबसाइट के जरिए जीवन प्रमाण सेवाओं के लिए पैसे लेना शुरू कर दिए। पूछताछ के दौरान यह पता चला कि जीवन प्रमाण से जुड़ी फेक वेबसाइट के माध्यम से जालसाजों ने आवेदक को जीवन प्रमाण/जीवन प्रमाण पत्र के लिए फॉर्म भरने और 199 रुपये पंजीकरण शुल्क रुपये लेने करने के लिए कहा।
जालसाजी का यह मामला सामने आने के बाद मामला दर्ज किया गया था। एक टीम जिसमें इंस्पेक्टर सुनील सिद्धू, इंस्पेक्टर योगराज, एएसआई अजीत सिंह, एचसी हरि किशन, एचसी अतुल सुहाग, एचसी सोमबीर एसीपी जय प्रकाश की देखरेख में योगेंद्र को प्राथमिकता से इसकी जांच के लिए गठित किया गया था।
आरोपितों की पहचान के बाद गिरफ्तारी
टीम ने जांच के दौरान वेबसाइट रजिस्ट्रार, बैंकों से कथित वेबसाइट की तकनीकी जानकारी, बैंक डिटेल और कॉल डिटे इकट्ठा किए और उसकी छानबीन की और तकनीकी जांच के आधार पर टीम ने यूपी, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में छापेमारी कर आरोपी व्यक्तियों की पहचान की और उन्हें पकड़ लिया। पकड़े गए आरोपितों में अमित खोसा निवासी ग्रेटर नोएडा, यूपी, जोकि कॉमर्स से ग्रेजुएट हैं।
पहले कुछ कंपनियों में स्टॉक मार्केट एनालिस्ट के तौर पर काम किया। इसके अलावा कनव कपूर के साथ जुड़ गया जो एक वेब डेवलपर है और उसने इस घोटाले को शुरू किया। उसे 35% राशि मिलती है। कणव कपूर , बिनाय सरकार और तेलंगाना के शंकर मंडल हैं।