राष्ट्रीय

बेमतलब है ये विरोध प्रदर्शन, हर कोई इसे देखता है, SC में LG के खिलाफ AAP के मार्च पर बोला केंद्र

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार पर चल रही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के विधायकों के उपराज्यपाल के खिलाफ प्रदर्शन किये जाने मुद्दा उठाया। केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ मामले पर सुनवाई कर रही हो तो इस तरह विरोध प्रदर्शन और नाटकीयता नहीं होनी चाहिए। ये अवांछनीय है।

दिल्ली सरकार की दलील हमारे यथोचित विधायी अधिकार हमें मिलने चाहिए

इसके अलावा केंद्र सरकार ने फिर दोहराया कि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है और उसकी सेवाओं पर केंद्र का नियंत्रण है। जबकि दिल्ली सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हमारे यथोचित विधायी अधिकार हमें मिलने चाहिए। दिल्ली सरकार को अधिकारियों की नियुक्ति और ट्रांसफर का अधिकार होना चाहिए। मामले में बुधवार को भी बहस जारी रहेगी।

आम आदमी पार्टी का आरोप

आम आदमी पार्टी ने उपराज्यपाल आफिस पर दिल्ली की चुनी हुई सरकार के कामकाज में कथित हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में सोमवार को विधानसभा से एलजी हाउस तक पैदल मार्च और प्रदर्शन किया था। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को फिनलैंड भेजने का प्रस्ताव अटकाने का आरोप लगाया था।

दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अधिकारियों की नियुक्ति और ट्रांसफर यानी सेवाओं पर नियंत्रण का अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार के क्षेत्राधिकार से बाहर करने की केंद्र सरकार की अधिसूचना को चुनौती दे रखी है, जिस पर आजकल प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ , एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की पांच सदस्यीय संविधान पीठ सुनवाई कर रही है।

सालिसिटर जनरल ने क्यों जताई आपत्ति

मंगलवार को जैसे ही पीठ बैठी केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उपराज्यपाल के खिलाफ आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन का मुद्दा उठाया और आपत्ति जताई। मेहता ने कहा कि जब मामले पर कोर्ट में सुनवाई चल रही हो तो इस तरह का विरोध और नाटकीयता नहीं होनी चाहिए। ये अवांछनीय है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं को केवल कानूनी दलीलों तक सीमित रखेंगे लेकिन वे बताना चाहते हैं कि दिल्ली में कुछ घटनाएं हो रही हैं।

दिल्ली की घटनाओं पर हर जगह ध्यान दिया जाता है। इसके बाद मेहता ने मुख्य मामले पर बहस जारी रखते हुए कहा कि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है और देश की राजधानी है यहां सेवाओं पर केंद्र सरकार का नियंत्रण है। उन्होंने कहा कि सेवाओं पर नियंत्रण में नियुक्ति ट्रांसफर पोस्टिंग सब शामिल है। मेहता ने कहा कि अगर केंद्र पूर्ण राज्य के विधायी और प्रशासनिक कार्यों में हस्तक्षेप करे तभी संघीय ढांचे का उल्लंघन कहा जा सकता है इस मामले में ऐसा नहीं है।

पीठ की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में मेहता ने कहा

अधिकारियों को एक विभाग से दूसरे विभाग ट्रांसफर करने के दिल्ली सरकार के अधिकार पर पीठ की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में मेहता ने कहा कि दिल्ली सरकार इसके लिए उपराज्यपाल से अनुरोध कर सकती है और उपराज्यपाल ट्रांसफर करते हैं। मेहता की दलीलों पर पीठ के न्यायाधीश एमआर शाह ने हल्के फुल्के अंदाज में टिप्पणी करते हुए कहा कि कि आपका कहना है कि ड्राइविंग सीट पर दिल्ली सरकार है लेकिन जीपीएस आपका है, कि किस दिशा में चलना है। हालांकि जस्टिस शाह ने साफ किया कि वे हल्के फुल्के अंदाज में ऐसा कह रहे है ये उनकी गंभीर टिप्पणी नहीं है।

मेहता के साथ केंद्र की ओर से वकील कनु अग्रवाल भी हुए पेश

मेहता ने कोर्ट के समक्ष दिल्ली सरकार द्वारा किये गए अधिकारियों के अपरेजल का हवाला दिया और कहा कि अधिकारियों का बहुत अच्छा अपरेजल किया गया है ऐसे में यह कहना कि अधिकारी बात नहीं मानते ठीक नहीं है। मेहता के साथ केंद्र की ओर से वकील कनु अग्रवाल भी पेश हुए। दिल्ली सरकार की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रतिउत्तर में कहा कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार है और उसकी स्थिति अलग है। उसे संविधान में मिले विधायी अधिकार मिलने चाहिए। अधिकारियों की पोस्टिंग ट्रांसफर का अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार को होना चाहिए। केंद्र द्वारा निकाले जा रहे संवैधानिक प्राविधानों के कानूनी मायने सही नहीं हैं।

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