मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण सम्मान, UP के 3 बार रहे CM; रक्षा मंत्री बन किया काम
नई दिल्ली। भारत के 74 वें गणतंत्र दिवस के ठीक एक दिन पहले केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। इस बार कुल 26 नागरिकों को पद्म पुरस्कारों से नवाजा जाएगा, जिनमें से एक दिग्गज नेता रहे स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव का नाम भी शामिल है। सरकारी अधिसूचना के अनुसार, मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण पुरस्कार से नवाजा जाएगा। केन्द्र सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय के बाद मुलायम सिंह के पैतृक गांव सैफई में गौरव की लहर बनी हुई है।
मुलायम सिंह यादव ने भारत के रक्षा मंत्री के रूप में देश की सेवा की है। वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। मुलायम सिंह यादव पिछड़ों के मसीहा के रूप में जाने जाते रहे हैं, जिन्होंने डॉ. राम मनोहर लोहिया की समाजवाद की विचारधारा को बल देते हुए इस पर काम किया। स्वर्गीय मुलायम सिंह ने शहीद सैनिकों के सम्मान के लिए ऐतिहासिक फैसला लिया था कि ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वालों सैनिकों का पार्थिव शरीर के ताबूत पर तिरंगे रखकर उनके घर पहुंचाया जाएगा।
यूं रहा राजनीतिक सफर
मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के गांव सैफई में हुआ था। उन्होंने शिक्षक के रूप में समाज की सेवा करते राजनीति में एंट्री की और समाजवादी पार्टी की स्थापना की। उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एमए की डिग्री ली थी और प्रवक्ता में नौकरी हासिल की। हालांकि, राजनीतिक सक्रियता बढ़ने पर उन्होंने शिक्षण कार्य छोड़ दिया।
पहली बार विधायक बने, पूरे यूपी पर असर
उत्तर भारत में बड़े समाजवादी और किसान नेता के रूप में उभरे मुलायम सिंह यादव को उनके प्रशंसक सम्मान के रूप में ‘नेता जी’ कहते हैं। सियासी सफर की शुरुआत 1967 में पहली बार विधायक बनकर की और अल्प काल में उन्होंने पूरे प्रदेश पर असर डाला।
धर्मनिरपेक्ष नेता के रूप में पहचान
समाजवाद की विचारधारा को वरीयता देते हुए उन्होंने पिछड़ा वर्ग के सामाजिक स्तर को ऊपर उठाया। इसी विचारधारा को जारी रखते हुए उन्होंने साल 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की। मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में तीन कार्यकाल बिताया। उनकी पहचान एक धर्मनिरपेक्ष नेता के रूप में है। मुलायम सिंह यादव की निधन बीते साल ही लंबी बीमारी के कारण 10 अक्टूबर 2022 को मेदांता अस्पताल गुरुग्राम में हुआ था।