मोदी सरकार की दूसरी पारी का आज आखिरी पूर्ण बजट, देश को ये 5 बड़ी उम्मीदें
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार को लोकसभा में 2023-24 का केंद्रीय बजट पेश करेंगी। अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले यह बजट नरेंद्र मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा। इस साल का बजट बहुत मायने रखता है क्योंकि देश में अप्रैल-मई 2024 में अगला लोकसभा चुनाव होना है। संसद में सुबह 11 बजे वित्त मंत्री अपना संबोधन देंगी।
संसद में मंगलवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 का साफ संकेत है कि मोदी सरकार आर्थिक सुधारों की बड़ी डोज पर काम कर रही है। इन सुधारों में उद्योग जगत को लाइसेंस व इंस्पेक्टर राज से मुक्ति दिलाने पर खास जोर हो सकता है। इसमें प्रशासनिक सुधारों को लेकर कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण कदम भी शामिल है, जो भारत को विकासशील देशों की श्रेणी से निकालकर विकसित देशों की श्रेणी में रखने में मददगार साबित होंगे।
आर्थिक सर्वेक्षण तैयार करने वाले वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीइए) वी. अनंत नागेश्वरन ने भी भावी सुधारों के इन कदमों के बारे में कहा कि भारत की क्षमता के समुचित दोहन के लिए सरकार को कई सुधार कार्यक्रम चलाने होंगे।आर्थिक सर्वेक्षण ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान अर्थव्यवस्था के मौजूदा हालात की तुलना पूर्व अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के कार्यकाल से की है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि जिस तरह से 1998 से 2002 तक आर्थिक सुधारों के उपायों ने बाद के वर्षों में तेज आर्थिक विकास दर हासिल करने में मदद की, उसी तरह से पिछले आठ वर्षों के दौरान उठाए गए कदमों का असर अब दिखने वाला है। सीईए नागेश्वरन का कहना है कि लगातार तेज आर्थिक विकास दर हासिल करने के लिए देश की महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के साथ ही शिक्षा व कुशलता भी बहुत महत्वपूर्ण होगा। राज्यों को बिजली सुधारों के लिए और कदम उठाने होंगे। राज्य बिजली वितरण कंपनियों को वित्तीय तौर पर मजबूत बनाने का उपाय तलाशना ही होगा।
राज्यों को और भी दूसरे सुधारवादी कदमों को लागू करना होगा। छोटे व मझोले इकाइयों के लिए नियमों को आसान बनाना होगा और उन्हें आसानी से कर्ज मिल सके, यह भी सुनिश्चित करना होगा।उन्होंने कहा कि आगामी वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की 6.8 प्रतिशत की विकास दर का अनुमान कच्चे तेल की वैश्विक कीमत प्रति बैरल 100 डालर से कम रहने पर निर्भर होगा। इस रफ्तार से वृद्धि कर भारत वर्ष 2026-27 तक पांच ट्रिलियन डालर और 2030 तक सात ट्रिलियन डालर की इकोनोमी बन सकता है। हालांकि, बहुत कुछ रुपये और डालर की के मूल्य पर भी निर्भर करेगा। भारतीय इकोनमी ने पिछले 30 वर्षों से डालर के मूल्य में औसतन नौ प्रतिशत सालाना की रफ्तार से वृद्धि की है।