एमके बशाल को मिल सकती है यूपी पुलिस की कमान, एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार समेत 6 ADG बने स्पेशल DG
लखनऊ: उत्तर प्रदेश को एक बार फिर कार्यवाहक डीजीपी से ही काम चलाना होगा. सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद भी मौजूदा डीजीपी डॉ. डीएस चौहान को सेवा विस्तार नहीं मिला है. चूंकि आज ही डॉ. चौहान रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में अब एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार को ही प्रमोट कर उन्हें जिम्मेदारी देने का निर्णय लिया गया है. मूल रूप से मैनपुरी उत्तर प्रदेश के रहने वाले 1988 बैच के आईपीएस डीएस चौहान मई 2022 में यूपी पुलिस के कार्यवाहक डीजीपी बने थे.
जानकारी के मुताबिक इससे पहले डॉ. चौहान केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर केंद्र भी गए थे, जहां वह सीआरपीएफ में बतौर आईजी छत्तीसगढ़ के नक्सल बेल्ट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. इसके अलावा वह काफी समय तक एसटीएफ में भी रहे हैं है. इसके अलावा वह गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, आगरा, सहारनपुर, बुलंदशहर, रामपुर और प्रतापगढ़ में कप्तानी पारी खेलने के साथ ही झांसी रेंज के डीआईजी और बरेली जोन के आईजी भी रह चुके हैं. उन्हें क्राइम कंट्रोल और पुलिसिंग में माहिर माना जाता है.
वह दो बार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए. वर्ष 2006 से 2011 के बीच उन्होंने ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन में डीआईजी की जिम्मेदारी संभाली थी तो 2016 से 2020 के बीच सीआरपीएफ में आईजी और एडीजी भी बने. बताया जा रहा है कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काफी करीब थे. यही कारण है कि योगी सरकार ने उनके सेवा विस्तार के लिए पूरी ताकत लगा दी थी. 1998 में जब वह नोएडा के एसपी थे, तो उन्होंने किडनी रैकेट का खुलासा किया था. यही से वह सुर्खियों में आए. इसके बाद उन्होंने एसटीएफ में रहते हुए भी कई बड़े काम किए.
संभावित कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार भी सीएम योगी के बेहद खास माने जाते हैं. फिलहाल वह एडीजी लॉ एंड आर्डर की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. हालांकि इनके नाम के साथ ही कई अन्य अफसरों के नाम भी इस पद की दौड़ में शामिल हैं. इनमें आनंद कुमार और विजय कुमार का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है. आनंद कुमार फिलहाल डीजी जेल हैं. लेकिन अब्बास-निकहत कांड और अतीक अहमद के नैनी जेल में ट्रीटमेंट को लेकर उनकी कार्यशैली पर सवाल भी उठे हैं.
सरकार ने नहीं भेजा पैनल प्रस्ताव
उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी तक स्थाई डीजीपी के लिए यूपीएससी को पैनल प्रस्ताव नहीं भेजा है. इस प्रस्ताव पर ही यूपीएससी की ओर से मुहर लगने के बाद डीजीपी की नियुक्ति होती है. ऐसे में डीएस चौहान की सेवानिवृति के साथ ही कार्य वाहक डीजीपी की नियुक्ति होनी तय हो गई है. डीजीपी के साथ ही आज डीजी इंटेलिजेंस और डीजी विजिलेंस के पद भी खाली हो जाएंगे. यह दोनों पद खुद डीजीपी ही संभाल रहे थे.