Noida Authority के नक्शे में क्रिकेट स्टेडियम को मंजूरी नहीं, बिल्डर ने ले-आउट प्लान में किया झोलझाल
नोएडा सेक्टर-150 में जिस स्पोर्ट्स सिटी की जमीन पर अंतरराष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट स्टेडियम बनाने को मंजूरी दी गई है, उसके स्वीकृत लेआउट प्लान में स्टेडियम ही नहीं है। बिल्डर ने नोएडा प्राधिकरण को जो प्लान दिया था, उसमें स्टेडियम नहीं दर्शाया गया। ऐसे में उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से निर्माण कार्य की इजाजत देने पर सवाल खड़े हो गए हैं।
क्रिकेट स्टेडियम लोटस ग्रीन्स बिल्डर की जमीन पर बनना है। निर्माण शुरू करने से पहले बिल्डर को संशोधित लेआउट प्लान प्राधिकरण से मंजूर कराना होगा। महत्वपूर्ण यह भी है कि प्राधिकरण ने सेक्टर-78, 79, 101, 150 और 152 में स्थित स्पोर्ट्स सिटी परियोजना के किसी भी नक्शे को मंजूर करने पर सवा दो साल से रोक लगा रखी है। इसकी वजह यह है कि स्पोर्ट्स सिटी के नाम पर सस्ती जमीन लेने वाले बिल्डरों के खिलाफ प्राधिकरण से लेकर शासन स्तर तक जांच चल रही है। बड़े बिल्डरों ने प्राधिकरण से सस्ती जमीन लेकर उसको छोटे-छोटे टुकड़ों में अन्य बिल्डरों को बेचकर मुनाफा कमाया।
इसके अलावा इस जमीन पर खेल सुविधाएं प्राथमिकता के आधार पर विकसित की जानी थी, लेकिन बिल्डरों ने मुनाफे के लिए फ्लैट और व्यावसायिक संपत्ति बना दी। सीएजी की जांच में भी स्पोर्ट्स सिटी में करीब 10 हजार करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आ चुकी है।
यूपी क्रिकेट एसोसिएशन ने प्राधिकरण से कोई जानकारी नहीं मांगी
यूपी क्रिकेट एसोसिएशन ने जिस जमीन पर स्टेडियम बनाने को मंगलवार को मंजूरी दी, उसके संबंध में प्राधिकरण से कोई जानकारी नहीं मांगी। प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि अगर कोई पत्र आता तो उनको वर्तमान स्थिति से अवगत कराया जाता। प्राधिकरण के अनुसार स्पोर्ट्स सिटी परियोजना के अंतर्गत लोटस ग्रीन्स बिल्डर को 7 जुलाई 2014 को 13 लाख 30 हजार वर्ग मीटर यानि 328 एकड़ जमीन आवंटित हुई थी। इस पर निर्माण के लिए बिल्डर की ओर से पहला ले आउट प्लान 16 अप्रैल 2015 और दूसरा 17 जनवरी 2017 को मंजूर कराया गया था।
24 टुकड़ों में बेची जमीन
नोएडा प्राधिकरण ने भले ही यह जमीन सिर्फ लोटस ग्रीन्स बिल्डर को आवंटित की थी, लेकिन उसने इसे 24 छोटे टुकड़ों में अन्य बिल्डरों को बेच दिया। अधिकारियों ने बताया कि प्राधिकरण का इस भूखंड पर बिल्डर के ऊपर करीब 2767 करोड़ रुपये बकाया है।
इश्तियाक अहमद (सीएपी, नोएडा प्राधिकरण) ने कहा, ”बिल्डर की ओर से जो लेआउट प्लान मंजूरी के लिए पहले आया था, उसमें स्टेडियम नहीं दर्शाया गया था। ऐसे में प्राधिकरण की ओर से स्वीकृत प्लान में स्टेडियम नहीं है।”