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Delhi Excise Policy: ED के मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी, 26 अप्रैल को आएगा फैसला

दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की शराब नीति मामले में दाखिल जमानत याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई. ED के वकील ने जमानत का विरोध किया. एक पुराने फैसले को सामने रखते हुए ईडी के वकील ने कहा कि कोर्ट को इस स्टेज पर जमानत नहीं देनी चाहिए. इसके बाद राऊज एवेन्यू कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. कोर्ट अब 26 अप्रैल को जमानत पर फैसला सुनाएगा.

मनीष सिसोदिया के वकील ने कहा कि डिस्ट्रीब्यूटर मार्जिन पर कोई कैप नहीं था, जिसको 12% किया गया. सिसोदिया के वकील ने कहा कि प्रॉफिट मार्जिन पर 12% का कैप लगाया गया, 5% न्यूनतम कैप था. सिसोदिया के वकील ने कहा कि रवि धवन ब्यूरोक्रेट है वह कोई भारत का राष्ट्रपति नहीं है. रवि धवन के बहुत से सुझाव हमने शामिल किए, कुछ को हमने अस्वीकार भी किया.

सिसोदिया के वकील ने कहा कि क्या कोर्ट यह कह सकता है कि टेंडर के लिए लॉटरी क्यों निकाली गई? टेंडर के लिए बोली क्यों नहीं लगाई गई?

अगर उप मुख्यमंत्री ने किसी अधिकारी से कानून के अनुसार काम करने को कहा तो इसमें अपराध कहां है? मनीष सिसोदिया की जमानत पर उनके वकील की दलील पूरी होने के बाद ईडी के वकील ने बहस की.

शराब घोटाला क्यों आया सामने

ऐसा नहीं है कि दिल्ली में शराब की बिक्री ना होती हो लेकिन पहले दिल्ली में शराब सरकारी और प्राइवेट दोनों ठेकों पर मिलती थी. सरकार को राजस्व भी मिलता था, लेकिन दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने नई एक्साइज पॉलिसी लागू की जिसमें सरकार की तरफ से दावा किया गया था कि 8 हजार  करोड़ से 10 हजार करोड़ का राजस्व सरकार को मिलेगा. 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई.

चूंकि सरकार इस कारोबार से बाहर हो गई थी और सब निजी हाथों में चला गया था, इसलिए शराब की बिक्री बढ़ाने के लिए जबरदस्त डिस्काउंट दिए गए. शराब की जमकर बिक्री हुई. सरकारी खजाना भी बढ़ा. लेकिन इसका विरोध होने लगा. विरोध को देख बीजेपी के हाथ संजीवनी बूटी लगी और केजरीवाल सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करने लगी यहां तक कि कई निगम पार्षद और प्रदेश अध्यक्ष ने शराब की दुकानों में बिल्डिंग बायलॉज चेंज करने आरोप लगाते हुए कई शराब की दुकान सील भी की.

कारोबारियों को होने लगा था नुकसान

दिल्ली सरकार की एक्साइज पॉलिसी के तहत जितनी शराब की दुकानें खुली थी दुकानदारों की इतनी शराब की दुकानें ना खुल पाने के कारण शराब के कारोबारियों को नुकसान होने लगा. इस नुकसान को बढ़ता देख कई सारे वेंडर बैकफुट पर आ गए. उन्होंने अपने लाइसेंस सरकार को सरेंडर कर दिए. दुकान खुलना बंद हो गई. सरकार को घाटा होने लगा. जिसका ठीकरा दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने उस वक्त के एलजी पर फोड़ा. आप ने ये कहकर की एलजी ने पॉलिसी लागू करने से 480 घंटे पहले कई सारे बदलाव कर दिए. जिसके कारण पॉलिसी सही से लागू नहीं हो पाई और पॉलिसी को वापस लेना पड़ा.

मुख्य सचिव में वीके सक्सेना को सोपी रिपोर्ट

8 जुलाई 2022 को दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने एलजी वीके सक्सेना को रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में सिसोदिया पर आरोप लगा कि उन्होंने गलत मकसद के साथ नई शराब नीति तैयार की. लाइसेंसधारी शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया. और तो और कथित तौर पर एलजी और कैबिनेट की मंजूरी लिए बगैर ही शराब नीति में अहम बदलाव भी कर दिए.

बीजेपी का अपना दावा 

दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता हरीश खुराना ने सितंबर 2021 में पॉलिसी लागू होने से पहले एक्साइज डिपार्टमेंट को इसकी शिकायत की थी कि कई सारी ब्लैक लिस्टेड कंपनियां इसमें खाओ गली जैसी कंपनियों को शराब के लाइसेंस दिए गए हैं जिस पर एक्साइज डिपार्टमेंट में कार्यवाही नहीं की..

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