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मुख्तार अंसारी को बड़ी राहत, हत्या के प्रयास की साजिश में पूर्व विधायक दोषमुक्त

बांदा जेल में बंद बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को गाजीपुर एमपी एमएलए कार्ट से बड़ी राहत मिली है. साल 2009 में दर्ज कराए गए हत्या के प्रयास के मामले में बुधवार को न्यायाधीश दुर्गेश पांडे ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया. इस दौरान मुख्तार अंसारी बांदा मंडल जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट रूम में मौजूद था.

साल 2009 में मीर हसन ने मोहम्मदाबाद कोतवाली में सोनू यादव के खिलाफ हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया था. पूर्व विधायक के वकील लियाकत अली ने बताया कि साल 2005 से मुख्तार अंसारी जेल में बंद हैं और यह मुकदमा 2009 में दर्ज कराया गया था. इस केस में मुख्तार अंसारी को बाद में आरोपी बनाया गया था.

मोहम्मदाबाद थाने में दर्ज 307 के मामले में 17 मई को कोर्ट ने फैसले की तारीख दी थी, जिसमें कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को दोष मुक्त कर दिया है. ADGC क्रिमिनल एमपी एमएलए कोर्ट गाजीपुर नीरज श्रीवस्ताव ने मामले की पुष्टि की. उन्होंने कहा कि मोहम्मदाबाद कोतवाली में 24 नवंबर 2009 को मीर हसन ने अपने ऊपर जानलेवा हमला करने का मुकदमा सोनू यादव के ऊपर दर्ज कराया था. इसमें बाद में मुख्तार अंसारी को 120 बी के तहत आरोपी बनाया गया था.

गवाहों के मुकरने और मुख्य आरोपी के बरी होने का मिला फायदा 

इस केस में सोनू यादव को साल 2010 में ट्रायल कोर्ट से बरी कर दिया गया था. मुख्तार अंसारी की पत्रावली एमपी एमएलए कोर्ट प्रयागराज से जब यहां आई, तो यहां फिर से कार्यवाही शुरू हुई. इस केस में मुख्तार अंसारी के खिलाफ गवाह मुकर गए. साथ ही मुख्य आरोपी सोनू यादव पहले ही बरी हो चुका था. लिहाजा, इसका भी फायदा मुख्तार अंसारी को मिला और कोर्ट ने उन्हें भी दोष मुक्त कर दिया.

इसी कोर्ट में दो मामलों में हुई सजा, एक का फैसला आना बाकी 

मुख्तार अंसारी को हत्या के प्रयास के इस मुकदमे में राहत तो मिल गई है. मगर, इसी कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर के 2 मामलों में 10-10 साल की दो सजा सुनाई है. वहीं, 20 मई को करंडा थाने के साल 2010 के एक पुराने मामले में भी फैसला आना है.

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