खुदाई में नहीं गांव के रास्ते में बच्चों को मिले थे सस्ती धातु के गहने मिट्टी खुदाई रोकने को किया खेल
ग्रेटर नोएडा/डॉ. सतीश शर्मा जाफ़रावादी।
दनकौर क्षेत्र के राजपुर कला गांव में कथित प्राचीन सिक्कों और आभूषणों की सूचना पर पुरातत्व विभाग की टीम मंगलवार को गांव में पहुंची। टीम ने पुलिस के सहयोग से गांव के बच्चों को मिले पुराने आभूषण बरामद किए और स्वर्णकार को दिखाने के बाद उनके नमूने दिल्ली पुरातत्व विभाग को जांच के लिए भेजे गए हैं।
दनकौर कोतवाल मुनेंद्र सिंह ने बताया कि पुलिस टीम पुरातत्व विभाग के साथ गांव में गई थी। गांव में कई बच्चों को रास्ते में पड़े हुए कुछ पुराने आभूषण मिले थे। बच्चों से मंगवाकर एकत्र कराकर सभी आभूषण पुरातत्व विभाग की टीम को सौंप दिए गए हैं।
पुरातत्व विभाग मेरठ की सहायक अधीक्षन पुरातत्वविद नीतू अनिल कुमार के नेतृत्व में पांच सदस्य टीम दनकौर पुलिस के साथ गांव में पहुंची। गांव में जानकारी करने पर पता चला कि खुदाई में कोई भी सिक्का प्राप्त नहीं हुआ था और ना ही गांव में से कोई सिक्का बरामद हुआ।
बरामद आभूषण गांव के बच्चों को रास्ते में कई दिन पहले मिले थे जिन्हें वे उठाकर अपने घर ले गए।
जानकारी होने पर पुलिस और पुरातत्व विभाग की टीम को बच्चों के परिजनों ने सभी छोटे-बड़े तीन दर्जन से अधिक आभूषण सौंप दिए।
पुरातत्व विभाग और पुलिस की टीम की मौजूदगी में बरामद आभूषण स्थानीय स्वर्णकार सोनू कुमार को दिखाए गए। स्वर्णकार सोनू कुमार ने बताया कि यह आभूषण ना सोने के हैं ना चांदी के ना अष्टधातु के। उन्होंने गिलहट धातु के इन आभूषणों को बताया।
आभूषणों के जानकारों ने बताया कि गिलहट तांबा, पीतल और कांसे को मिलाकर बनाई जाने वाली एक धातु है। पुराने जमाने के लोग अक्सर गिलहट की आभूषण पहनते थे। इस तरह के आभूषण नट और भुवरिया जाति की महिलाएं हाथों और गले में पहनती हैं। जानकारों ने यह भी बताया कि यह सभी आभूषण गले और हाथों में पहनने वाले हैं। आभूषण बहुत पुराने नहीं है आशंका इस बात की है कि किसी नट या बावरिया जाति के गांव से होकर जा रहे डेरे से रास्ते में गिर गए होंगे।
पुरातत्व विभाग की अधिकारी नीतू अनिल कुमार ने बताया कि जो भी आभूषण मिले हैं उन्हें जांच के लिए पुरातत्व विभाग दिल्ली मुख्यालय को भेजा जा रहा है। रिपोर्ट आने के बाद ही वह बता सकेंगे कि यह आभूषण किस समय के और किस धातु के हैं।
इस मामले की जांच में पता चला है कि एक व्यक्ति द्वारा गांव के खेतों से मिट्टी खुदाई का काम रुकवाने के लिए यह नाटक रचा गया था। इस व्यक्ति ने मीडिया और अन्य लोगों को खुदाई में सिक्के और गहने प्राप्त होने की बात प्रचारित की गई थी।