पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि मोदी सरकार का आखिरी बजट उस खाली लिफाफे की तरह है, जिसे घोषणाओं के बल पर फुलाया गया है। उन्होंने केंद्रीय बजट को निराशाजनक बताया है। पूर्व सीएम ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बात तो छोड़ दीजिए, किसानों की आमदनी में कितनी वृद्धि हुई, यह बताने में भी बजट असफल साबित हुआ है।
निम्न व मध्यम वर्ग और वेतनभोगियों को इनकम टैक्स में एक ऐसी राहत दी गई है, जिस राहत के बलबूते पर वह निरंतर बढ़ती हुई महंगाई का सामना नहीं कर पाएंगे। शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज कल्याण से जुड़ी योजनाएं जो दलितों, पिछड़ों, कमजोर वर्गों के लिए संचालित की जाती हैं, उनके बजट में कमी की गई है। मनरेगा के बजट में भी कटौती की गई है। बढ़ती हुई बेरोजगारी को साधने के कोई उपाय बजट में दृष्टिगत नहीं होते हैं। महंगाई इस बजट के बाद और बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि इस बजट से किसानों, नौजवानों, दलितों, पिछड़ों, कमजोर वर्ग में निराशा बढ़ेगी और आर्थिक असमानता, गरीब-अमीर के बीच की खाई और बढ़ेगी। उत्तराखंड के लिए भी यह बजट पूर्णतः निराशाजनक है। उत्तराखंड आशा लगाए बैठा था, कम से कम अपने अंतिम बजट में मोदी उत्तराखंड जैसे हिमालयी राज्यों को ग्रीन बोनस देने की घोषणा करेंगे, लेकिन राज्य की पूर्णतः उपेक्षा की गई है। उन्होंने कहा कि जिस राज्य के सम्मुख जोशीमठ जैसी बड़ी समस्या खड़ी हो, उस राज्य की कैसे मदद की जाएगी, इस पर एक शब्द भी नहीं कहा गया है।