नई दिल्ली। देश में आतंक, धार्मिक तौर पर घृणा और समाज में अशांति पैदा कर प्रतिबंधित संगठन पोपुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) 2047 तक भारत में इस्लाम के शासन की स्थापना करना चाहता था। इसके लिए उसने व्यापक रूप से योजना बनाई थी। इसके लिए उसने गोपनीय दलों का भी गठन किया था जिन्हें सर्विस टीम या खूनी दस्ता कहा जाता था। इनका काम विभिन्न तरीकों से दुश्मनों का सफाया करना और उन्हें लक्ष्य बनाना था। यह बात राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) द्वारा न्यायालय में दाखिल आरोप पत्र में कही गई है।
एजेंसी ने यह आरोप पत्र शुक्रवार को बेंगलुरु के विशेष न्यायालय में दाखिल किया है। यह आरोप पत्र कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में 26 जुलाई, 2022 को भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेता प्रवीण नेटारू की हत्या के सिलसिले में दाखिल किया गया है। नेटारू की खुलेआम धारदार हथियार से हत्या की गई थी। इस हत्या का उद्देश्य समुदाय विशेष को आतंकित करना था। आरोप पत्र में पीएफआइ के 20 सदस्यों के नाम हैं जिनकी हत्या के अपराध में सक्रिय भूमिका थी।
ये सदस्य संगठन की सर्विस टीम के सदस्य थे जिन्होंने हथियारों का इंतजाम किया, हमले का प्रशिक्षण दिया, सर्विलांस के जरिये लक्ष्य की उपस्थिति सुनिश्चित की और उस पर हमला किया। एनआइए ने आरोप पत्र में कहा है कि सर्विस टीम के सदस्य हमले और हत्या के लिए पीएफआइ के वरिष्ठ नेताओं के निर्देश पर कार्य करते थे। नेटारू की हत्या के सिलसिले में बेंगलुरु शहर, सुलिया कस्बे और बेल्लार गांव में पीएफआइ के नेताओं और कार्यकर्ताओं की बैठकें हुई थीं।