यूपी में गहरा सकता है बिजली संकट, दूसरे दौर की वार्ता के पहले योगी सरकार ने 3 हजार कर्मियों को निकाला
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में जारी बिजली संकट और गहराने के आसार हैं. शनिवार को ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के साथ हुई विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की बैठक बेनतीजा रही. बैठक में ना तो ऊर्जा मंत्री ने संघर्ष समिति की बात मानी और ना ही समिति के पदाधिकारियों ने अपनी मांग से पीछे हटने पर सहमति दी. ऊर्जा मंत्री के आवास पर तीन घंटे तक चली इस बैठक को लेकर पहले काफी उम्मीदें थीं. लेकिन सरकार के सख्त तेवर और अड़ियल रूख के चलते स्थिति जस की तस है.
जानकारी के मुताबिक विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारी चेयरमैन एम देवराज के खिलाफ मोर्चा खोले बैठे हैं. वह चेयरमैन को हटाने के अलावा अपनी अन्य मांगों को लेकर अड़ गए हैं. बैठक में भी समिति के पदाधिकारी अपनी मांग अड़े रहे. हालांकि ऊर्जा मंत्री ने बीच का रास्ता निकालने को कहा, लेकिन जब कोई अन्य विकल्प नहीं दिखा तो उन्होंने कोई भी मांग मानने से साफ इंकार कर दिया. इस प्रकार बैठक बेनतीजा खत्म हो गई. वहीं दूसरी ओर, प्रदेश की जनता को अघोषित बिजली की कटौती झेलनी पड़ रही है.
एक तरफ मंत्री के साथ विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति के पदाधिकारियों की बैठक हो रही थी, ठीक उसी समय लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में कर्मचारी नेता शैलेंद्र दुबे समेत 22 नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया गया. इधर, वार्ता बेनतीजा खत्म होने के आशंका जताई जा रही है कि इन सभी कर्मचारी नेताओं की आज गिरफ्तारी भी हो सकती है. इसके लिए पुलिस ने उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन मांगा है.
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के मुताबिक पिछले साल 3 दिसंबर सरकार के साथ एक समझौता हुआ था. इसम तय किया गया था कि ऊर्जा निगमों के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक का चयन समिति करेगी. इसी के साथ तीन प्रमोशन पदों के समयबद्ध वेतनमान का आदेश जारी किया जाएगा और बिजली कर्मियों के लिए पावर सेक्टर इम्प्लॉईज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाएगा. इस समझौते पर हमल के लिए बिजली मंत्री एके शर्मा ने 15 दिन का समय मांगा था. बावजूद इसके बिजली निगमों ने इस समझौते पर अमल नहीं किया. इसके विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने इस हड़ताल का आह्वान किया है.