गोरखपुर में बच्चे को स्कूल में बंद कर क्यों घर चले गए टीचर, क्या है पूरा मामला; पढ़ें पूरी खबर
गोरखपुर। गोरखपुर जिले के चरगांवा के प्राथमिक विद्यालय में कर्मचारी की लापरवाही बच्चे की जान पर बन आई। कक्षा में पढ़ते-पढ़ते सो गए बच्चे पर किसी ने ध्यान नहीं दिया और कमरे में ताला बंद कर सभी घर चले गए। बच्चे के घर न पहुंचने पर परेशान परिवार के लोगों ने पुलिस को सूचना देकर तलाश शुरू की। ढूंढ़ते हुए स्कूल के पास पहुंचे लोगों को बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी, जिसके बाद पुलिस की मदद से कमरे का ताला तोड़कर बच्चे को निकाला गया। चार घंटे तक बच्चे के कक्षा में बंद होने की खबर मिलते ही पूरे गांव में अफरा-तफरी मच गई।
यह है पूरा मामला
गुलरिहा क्षेत्र के रड़हवा डुमरी गांव के विनोद कुमार का आठ वर्षीय बेटा पवन कुमार पासवान, चरगांवा के प्राथमिक विद्यालय परमेश्वरपुर दरघाट में कक्षा तीन का छात्र है। वह परमेश्वरपुर में अपने नाना बुद्धू पासवान के यहां रहता है। सोमवार को पवन स्कूल गया था। शाम को परिवार के लोग खेत में काम कर लौटे तो पवन घर पर नहीं था। आसपास ढूंढ़ने पर पता नहीं चला तो गांव में उसकी तलाश शुरू हो गई। गांव में बच्चे के न मिलने पर लोगों ने स्कूल की तरफ जाकर देखा तो बच्चे के रोने की आवाज आई। पास गए तो बच्चा स्कूल के कमरे में बंद मिला। इसके बाद डायल 112 पर सूचना दी गई। चिलुआताल थाने की पुलिस की मौजूदगी में ताला तोड़ बच्चे को कमरे से बाहर निकाला गया। छानबीन में पता चला कि बच्चा कक्षा में सो गया था और स्कूल में किसी ने ध्यान नहीं दिया, सभी ताला बंद कर चले गए थे।
क्या कहती है पुलिस
चिलुआताल के थानाध्यक्ष जयंत कुमार सिंह ने कहा कि बच्चे के स्कूल में बंद होने की सूचना पर पुलिस टीम गांव गई थी। स्कूल का ताला तोड़कर बच्चे को सकुशल बाहर निकाल लिया गया। तहरीर न मिलने के चलते मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है।
अधिकारी बोले
बीएसए रमेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि घटना की जानकारी मिली है। यह गंभीर लापरवाही है। मामले की जांच के लिए खंड शिक्षाधिकारी चरगांवा को निर्देशित किया गया है। जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
स्कूल स्टाफ की लापरवाही से चार घंटे मासूम को कमरे में बंद रहना पड़ा
चरगांवा के प्राथमिक विद्यालय परमेश्वरपुर के दरघाट में कक्षा तीन के छात्र पवन पासवान ने स्कूल प्रबंधन की घोर लापरवाही के चलते जो कष्ट भोगा, उसका अहसास उसकी आंखों से झरते आंसू करा रहे थे। लगभग चार घंटे तक कक्ष में कैद रहे पवन को जब पुलिस ने ताला तोड़कर बाहर निकाला, तब वह जोर-जोर से रो रहा था। उसका हाल देख स्वजन ही नहीं, वहां उपस्थित अन्य लोग भी भावुक हो गए। पुलिस ने इस लापरवाही की पड़ताल की तो पता चला कि शिक्षक कक्ष में बच्चों को बैठाकर बारी-बारी बाहर बुलाकर पाठ सुन रहे थे। उनकी ओर से कहा गया था कि बिना पाठ सुनाए कोई घर नहीं जाएगा।
पवन जब अकेला बचा था तभी स्कूल की छुट्टी हो गई और शिक्षक सहित अन्य बच्चे घर चले गए। पवन शिक्षक के आदेश के मुताबिक कक्ष में ही बैठा रह गया। इसी बीच दाई आई और कमरे के दरवाजे में ताला लगाकर चली गई। इधर, देर तक जब पवन घर नहीं पहुंचा तो स्वजन उसकी तलाश में जुट गए। इसी बीच एक ग्रामीण को स्कूल से बच्चे के रोने की आवाज सुनाई पड़ी तो उसने इसकी जानकारी अन्य लोगों को दी। स्वजन आए तो बच्चे को रोता पाया। लोग अंदर बंद पवन को ढांढस बंधाते रहे, लेकिन कष्टकारी ‘कैद’ ने पवन की हिम्मत तोड़ डाली थी। वह लगातार रोए जा रहा था।
स्वजन की सूचना पर लगभग आधा घंटा बाद पुलिस पहुंची। ताला तोड़कर पवन को निकाला गया, तब भी वह लगातार रो रहा था। स्वजन ने गोद में लेकर उसे दुलारना शुरू कर दिया, लेकिन पवन का सुबकना बंद नहीं हुआ। उसकी आंखों से लगातार बह रहे आंसू उस कष्टकारी ‘कैद’ की कहानी सुना रहे थे, जिससे वह कुछ देर पहले मुक्त हुआ था। गांव के लोग स्कूल स्टाफ की लापरवाही पर गुस्से में थे। लोग इस लापरवाह रवैये के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जरूरी बता रहे थे।