स्कूली बच्चों के शोषण पर योगी सरकार का सख्त आदेश, जारी की गई गाइडलाइंस का सख्ती से हो पालन
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार छात्रों की शिक्षा के साथ ही उनकी सुरक्षा को लेकर भी संवेदनशील है। इसी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए सरकार ने सभी शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययनरत बच्चों के शारीरिक व मानसिक शोषण और यौन उत्पीड़न संबंधी घटनाओं को रोकने के लिए तय गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं। योगी सरकार ने 2014 में सत्ता संभालने के बाद ही शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के खिलाफ होने वाली घटनाओं के संबंध में 2015 में एक विस्तृत गाइडलाइंस तैयार की थी। अब सरकार ने इसे फिर से जारी करते हुए इसका कड़ाई से पालन करने को कहा है।
सभी बीएसए को जारी किए निर्देश:
राज्य परियोजना निदेशक विजय किरण आनंद ने प्रदेश के सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर इस संबंध में कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इसमें कहा गया है कि समस्त प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, कंपोजिट विद्यालयों एवं कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में गाइडलाइंस का पालन किया जाए। साथ ही सभी प्रधानाध्यापकों, स्टाफ, शिक्षकों, वार्डेन और विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों को भी इन गाइडलाइंस का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने को कहा है।
यह गाइडलाइंस 23 फरवरी 2015 को जारी हुई थीं। इसका उद्देश्य प्रदेश में बच्चों की सुरक्षा संरक्षित करने तथा बाल अपराध और असंवैधानिक कृतियों की रोकथाम व स्कूल जाने वाले बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक उत्पीड़न से रक्षा करना है। साथ ही इसमें शैक्षणिक संस्थानों का उत्तरदायित्व भी निर्धारित किया गया है।
स्कूल कैंपस सहित सभी जगह सुरक्षित माहौल के सुझाव:
गाइडलाइंस में कहा गया है कि हर विद्यालय प्रबंधतंत्र / स्कूल मैनेजमेंट कमेटी और प्रधानाचार्यो का यह दायित्व है कि विद्यालय परिसर में या विद्यालय आते-जाते या स्कूल से बाहर फील्ड विजिट में इस प्रकार का वातावरण तैयार करें जो बच्चों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करे। इसके अलावा छात्र / छात्राओं का किसी प्रकार का शारीरिक / मानसिक एवं यौन शोषण ना होने पाए। इसमें विद्यालय प्रांगण को सुरक्षित बनाने के लिए भी कई तरह के उपाय बताए गए हैं।
इसमें स्कूल बसों में जीपीआरएस सिस्टम के साथ ही ड्राइवर व हेल्पर के वेरिफिकेशन की अनिवार्यता रखी गई है। साथ ही बस के अंदर चाइल्ड हेल्पलाइन और वूमेन हेल्पलाइन नंबर के साथ पुलिस स्टेशन का नंबर लिखा होना चाहिए। हर बस में दो टीचर की इस प्रकार व्यवस्था होनी चाहिए जो बच्चों के साथ स्कूल में बस से आवागमन करेंगे।
इसके अलावा शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का व्यवहार संतुलित हो, इस संबंध में भी विवरण दिया गया है। बच्चों में परस्पर समन्वय और जागरूकता के लिए अभियान चलाने के भी निर्देश हैं, जबकि अलग-अलग संस्थाओं की मदद लेने और अन्य उपायों की जानकारी भी दी गई है।